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अपनी पीर बताते क्यों दिल के दाग़ दिखाते क्यों उम्मीद नहीं लौटेंगे वरना घर से जाते क्यों रूठे हैं जो बरसों से कहने से आ जाते क्यों वो चुपचाप गए घर ...